Tuesday, June 07, 2016

तू जो है!

अक्सर यूँ होता है मेरे साथ,
ख्याल है मगर शब्द नहीं,
जो मिल जाएँ शब्द तो कलम नहीं,
कलम है तो स्याही नहीं,
स्याही है तो कागज़ नहीं,
कागज़ है तो फुर्सत नहीं,
जो मिल जाए फुर्सत तो तन्हाइयाँ नहीं,
गर होती तन्हाइयाँ तो तनहा नहीं,
तनहा नहीं तो,
तू होती, तू होती, तू होती!

तू! तू जो ख़ास है, आस-पास है,
छूती रोज़ मुझको ऐसे, प्यारा सा एहसास है,
तू जो मुकम्मिल नहीं,
मैं जो पूर्ण नहीं,
फिर भी अजब ये साथ है,
मैं हूँ तो तू है, तू है तो मैं हूँ!

- प्रशांत गोयल!

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