मैं और रात!
कुछ रोजों से रात अपनी साथी हो गयी है,
दिन में वो बात कहाँ?
एक अच्छे साथी की तरह,
सुनती, समझती है,
औरों में वो बात कहाँ?
कुछ शिकायतें कर लिया करता हूँ,
इस से में,
कटगरहे में खड़ा नहीं करती,
गले लगाती ये रात,
औरों में वो बात कहाँ?
- प्रशांत गोयल
दिन में वो बात कहाँ?
एक अच्छे साथी की तरह,
सुनती, समझती है,
औरों में वो बात कहाँ?
कुछ शिकायतें कर लिया करता हूँ,
इस से में,
कटगरहे में खड़ा नहीं करती,
गले लगाती ये रात,
औरों में वो बात कहाँ?
- प्रशांत गोयल
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